निकलते है तेरे आशिया के आगे से,सोचते है की तेरा दीदार हो जायेगा
खिड़की से तेरी सूरत न सही तेरा साया तो नजर आएगा

सारा सबकुछ कितना अजीब है
दूर रहकर भी दिल के करीब है
खुदा ने हुश्न दिया तू अमीर है
दर ठहरी ये जिन्दगी गरीब है

हमारी प्रार्थना बस सामान्य रूप से सबके भले के लिए होनी चाहिए
क्योंकि मालिक जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है.

मत मुस्कुराओ इतना की फूलो को खबर लग जाये
हम करें आपकी तारीफ और आपको नजर लग जाये
खुदा करे बहुत लम्बी हो आपकी जिंदगी और उस पर भी हमारी उम्र लग जाये

जो हम न सोच सकें लोग सोच लेते हैं दिखा के ख़्वाब वो आँखों को नोच लेते हैं
कभी जो आँख के कोनों पे झिलमिलाते हैं वो आँसू ग़मज़दा पलकों से पोंछ लेते हैं

हो जहाँ सारी खुदायी एक ही छत के नीचे
रह जाएं जिसकी रहनुमायी से मन्दिर मस्जिद पीछे
न जहाँ जूठा हो किसी का न कोई नीचा हो
है वही मैक़दा जो हर शाम दीवानों को खींचे