नया दर्द एक और दिल में जगा कर चला गया; कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया; जिसे ढूंढ़ता रहा मैं लोगों की भीड़ में; मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
नया दर्द एक और दिल में जगा कर चला गया; कल फिर वो मेरे शहर में आकर चला गया; जिसे ढूंढ़ता रहा मैं लोगों की भीड़ में; मुझसे वो अपने आप को छुपा कर चला गया।
अभी सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो!
कभी मुस्कारा के रोये कभी रो के मुस्काये
जब भी तेरी याद तब तुजे भुला के रोये
एक तेरा नाम था जिसे हजार बार लिखा
जितना लिख के खुश होवे उस से ज्यादा मिटा के रोये
ऐ दिल मत कर इतनी मोहब्बत किसी से
इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पायेगा
एक दिन टूट कर बिखर जायेगा अपनों के हाथों से
किसने तोडा ये भी किसी से कह नहीं पायेगा।
=RPS
शहर क्या देखें के हर मंज़र में जाले पड़ गए; ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए; मैं अँधेरों से बचा लाया था अपने आप को; मेरा दुख ये है मेरे पीछे उजाले पड़ गए।
उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं; घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं; मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना; माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं।
इरादों में अभी भी क्यों इतनी जान बाकी है; तेरे किये वादों का इम्तिहान अभी बाकी है; अधूरी क्यों रह गयी तुम्हारी यह बेरुखी; जबकि दिल के हर टुकड़े में तेरा नाम बाकी है।
धड़कन बिना दिल का मतलब ही क्या; रौशनी के बिना दिये का मतलब ही क्या; क्यों कहते हैं लोग कि मोहब्बत न कर दर्द मिलता है; वो क्या जाने कि दर्द बिना मोहब्बत का मतलब ही क्या।
कोई समझता नहीं उसे इसका गम नहीं करता; पर तेरे नजरंदाज करने पर हल्का सा मुस्कुरा देता है; उसकी हंसी में छुपे दर्द को महसूस तो कर; वो तो हंस के यूँ ही खुद को सजा देता है।
हम पर जो गुज़री है क्या तुम सुन पाओगे; नाज़ुक सा दिल रखते हो तुम रोने लग जाओगे; बहुत ग़म मिले हैं इस दुनिया की भीड़ में; कभी सुनो जो तुम इन्हें तुम भी मुस्कुराना भूल जाओगे।
चुपके चुपके कोई गम का खाना हम से सीख जाये; जी ही जी में तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये; अब्र क्या आँसू बहाना कोई हमसे सीख जाये; बर्क क्या है तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये।
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं; रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं; पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं; अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं।
कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता
सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलानेअब
तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता
तेरा दिल उदास क्यों है तेरी आँखों में प्यास क्यों है
जो छोड़ गया तुझे मझदार में उससे मिलने की आस क्यों है
जो दे गया दर्द ज़िन्दगी भर का वही तेरे लिए ख़ास क्यों है
मेरी रातों की राहत दिन के इत्मिनान ले जाना; तुम्हारे काम आ जायेगा यह सामान ले जाना; तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई; तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।