कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता
एक भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता है

कमाल का शख्स था जिसने
जिंदगी तबाह कर दी
राज की बात है दिल उससे
खफा अब भी नही

इतनी धूल और सीमेंट है अब शहर की हवाओं में कब
दिल पत्थर का हो गया पता ही नहीं चला

लौट आती है बेअसर मेरी माँगी हुई हर दुआ...
जाने कौन से आसमान पर मेरा खुदा रहता है।

हम जिंदगी की भागदौड़ मे इतने लीन हो गए
पता ही नहीं चला गोलगप्पे कब 10 के तीन हो गए

शायरी का बादशाह हुं और कलम मेरी रानी, अल्फाज़ मेरे गुलाम है, बाकी रब की महेरबानी ।

कुछ ऐब का होना भी ठीक ही है मालिक….
सुना है आप अच्छे लोगो को जल्दी बुला लेते हो….

अगर तेरे बीना जीना आसान होता
# कसम मुहब्बत की।
तुझे याद करना भी # गुनाह समझते।

किसी रोज़ रोशन मेरी भी होगी ज़िंदगी
इंतेज़ार सुबह का नही किसी के लौट आने का है

अधूरी हसरतों का आज ये इलजाम है तुम पर
अगर तुम चाहते तो ये महोब्बत अधूरी न रहेती

अब सीख गये हैं हुनर हम तो ग़म छुपाने का,
रो लेते हैं इस तरह कि; आँखें नम नहीं होतीं.!!

तुम मुझ पर लगाओ मैं तुम पर लगाता हूँ
ये ज़ख्म मरहम से नही इल्ज़ामों से भर जायेंगे

ठीक है बदल जाओ तुम
लेकिन ये याद रखना की हम बदल गये तो तुम करवटें बदलते रह जाओंगे

ठीक है बदल जाओ तुम
लेकिन ये याद रखना की हम बदल गये तो तुम करवटें बदलते रह जाओंगे

तेरे बगैर छोड़ दीं हमने हसरतें सारी.!! !!.और लोग कहते हैं मैं मुस्कुराता क्यूँ नहीं.!!