काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तो नसीब होता
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता
बात करना न सही देखना तो नसीब होता
ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने
वाली अब किसी और शायर की गजल बन गयी है
मैं अपने दुश्मन के भी गले लग जाऊँ
शर्त ये है वो तुझसे मिलकर आया हो
काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती
तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते
जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है
मेरे प्यार का असर तो देख
लोग मिलते है मुजसे और हाल तेरा पुछते हैं
जब भी आप किसी प्रतिद्वंद्वी का सामना करें तो उसे प्रेम से जीत लें।
प्यार की भूख को मिटाना रोटी की भूख को मिटाने से ज्यादा मुश्किल है।
मै बहता पानी हूँ।।
तुम मेरा रास्ता बदल सकते हो,
मेरी मंज़िल नही।
जब भी मौका मिलेगा ना, तो ,, जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा..... ((मा कसम))
कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो
हम पहले भी बुरे थे अब थोड़ा और सही
" बड़ा आदमी वो हे ,जो अपने पास बेठे व्यक्ति को छोटा मेहसूस ना होने दे.."
करीब आओगे तो शायद हमें समझ लोगे
ये फासले तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते हैं
बता दो हमे भी ऐ दोस्त
जाग रहे हो किसी की याद मे या फिर अभी तक सोए नही
प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे वृक्ष के समान है जिस पर न कोई फूल हो न फल।