आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या; क्या बताऊँ कि मिरे दिल में हैं अरमाँ क्या क्या; ग़म अज़ीज़ों का हसीनों की जुदाई देखी; देखें दिखलाए अभी गर्दिश-ए-दौराँ क्या क्या।

Your Comment Comment Head Icon

Login