गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ

उम्र और ज़िन्दगी में फर्क बस इतना
जो तेरे बिन बीति वो उम्र जो तेरे साथ बीति वो ज़िन्दगी

बारूद मेरे अन्दर का भीग गया मेरे ही आंसुओं से वरना
ये दिल एक बड़ी घटना को अंजाम दे देता

इतना हक ना दे मुझे, हम मौका परस्त है,
जुल्फों को सुलझाते सुलझाते,लबों को चूम लिया करते

मुझे खामोश देख कर तुम क्यों इतना हैरान होते हो
कुछ नही हुआ बस ऐतबार कर के धोखा खाया है

" जो तेरी चाह में गुज़री, वही ज़िन्दगी थी,
उस के बाद तो बस, ज़िन्दगी ने गुज़ारा है मुझे"

दो अक्षर की मौत और तीन अक्षर के जीवन में
ढाई अक्षर का दोस्त हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं

ये ना सोच कि तुझसे मोहब्बत की गुजरिश करेंगे
हम तो एक तरफा मोहब्बत भी दिल से ही करते है

जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ
मेरे रब के बाद मैं बस मेरी माँ को जानता हूँ

है कोई मुझे मेरे ख्वाब की, ताबीर बताने वाला
मैने देखा है खुद की लाश पेँ खुद को रोते हुए

आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग

तुझे क्या लगा तु मुझे छोड कर चली जाएगी तो मैं मर जाऊंगा
घंटा अरे पगली लडकी है तु OxyGeN नहीं

देश मेरा क्या बाजार हो गया है
पकड़ता हूँ जो तिरंगा हाथ में लोग पूछते हैं कितने का है
Er kasz

खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों
मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है
G.R..s

एक कविता ऐसी लिखूं ,जो तेरी आखों में दिखाई दे
आँखें बंद करू तो तेरी सांसो में सुनाई दे...