बचपन से मैं सुन रहा हूँ कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। अगर हाँ तो उनके लिए इतने कम मंदिर हैं जबकि स्कूल ज्यादा क्यों?
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बचपन से मैं सुन रहा हूँ कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। अगर हाँ तो उनके लिए इतने कम मंदिर हैं जबकि स्कूल ज्यादा क्यों?
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