क्या मिला हमें सदियों कि मोहब्बत से
एक शायरी का हुनर और दुसरा जागने कि सज़ा

मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन
जैसी है...
जिसको दी हुकुमत उसी ने बर्बाद
किया...

जिसको जितनी चाहिए हो ले जाए रौशनी
हमने चिरागे दिल जला दिया है राहे इश्क में

मेरे दिल की उम्मीदों का हौसला तो देखो
इंतज़ार उसका है जिसे मेरा एहसास तक नही

तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे
उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ

शुबह हुई कि छेडने लगा है सूरज मुझको । कहता है बडा नाज़ था अपने चाँद पर अब बोलो ।।

मेरी जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार निकला
मैं हारा भी तो अपनी हीं रानी से

जिंदगी को ईतनी सस्ती भी नही बनानी चाहीये
की कोई लड़की आये और खेल कै चली जाये

नरम नरम फूलों का रस निचोड़ लेती है
पत्थर के दिल होते है तितलियों के सीने में

तेरी मजबूरियाँ भी होंगी चलो मान लेते है
मगर तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का

मनुष्य की इच्छाओ में से यदि आधी भी पूर्ण
हो जाए तो उसकी मुसीबते दुगनी हो जाए

हमारे Facebook की बात मतकर पगली
हमारे Online होने का इंतजार नौ मुल्को की लङकियाँ करती है

ऐ मोहब्बत तुझे पाने की कोई राह नहीं
तू तो उसे ही मिलेगी जिसे तेरी परवाह नहीं

अगर मालूम होता की इतना तड़पाता है इश्क,
तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते।

नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी
वरना इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है