रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलू हैं; कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं; और कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं।
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रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलू हैं; कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं; और कभी रास्ते पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं।
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