रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही अक्सर रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाज़ुक समझौता होता है।
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रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता है; दिल से इन्हें निभाने वाला ही अक्सर रोता है; झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए; क्योंकि हर रिश्ता एक नाज़ुक समझौता होता है।
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