झुठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता
मगर डूबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर …
जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!

सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है

बुलंदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी
पर गलत राहो से होकर जाऊ इतनी जल्दी भी नही

वो जिधर देख रहे हैं सब उधर देख रहे हैं
हम तो बस देखने वालों की नजर देख रहे हैं

वो छोटी छोटी उड़ानों पे गुरुर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिये आसमान ढूँढ़ता है

ख़ुदा तूने तो लाखों की तकदीर संवारी है...
मुझे दिलासा तो दे, के अब मेरी बारी है...!

रात भर गहरी नींद आना इतना आसान नहीं
उसके लिए दिन भर ईमानदारी से जीना पड़ता हैं

तेरी मजबूरियाँ भी होंगी चलो मान लेते है,....
मगर तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का...

बहाने फिज़ूल न बनाओ मुझसे खफा होने के
मेरा गुनाह बस इतना है कि तुझे चाहते है हम

मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत इतनी
जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या करेंगे

मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता
ये वो घर है जिसका दरवाजा नहीं होता

मत सोना किसी के कंधे पर सर रख कर
क्युकी जब वो बिछडते है तो तकिये पर भी नींद नहीं आती

जिन्दगी की उलझनों ने;कम कर
दी हमारी शरारते;और लोग समझते हैं
कि;हम समझदार हो गये।

ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूँ
मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता