!! मैं एक प्यासा रेगिस्तान सा...तू एक अल्हड़ घटा सी...
गुजरे कभी मेरी गली से... तो दो घड़ी मुझ पे बरस जाना...!!
!! मैं एक प्यासा रेगिस्तान सा...तू एक अल्हड़ घटा सी...
गुजरे कभी मेरी गली से... तो दो घड़ी मुझ पे बरस जाना...!!
खता मेरी नही बहकने मे तेरी गजरे की खूशबू
तेरी पायल की छनछन तेरी चूडियो की खनक ने बहका दिया मुझे
सुनो तुम तो कहती थी कि मैं तुम्हारी जिऩ्दगी हूँ
चलो अब ये बताओ कि मुझसे बिछड़ कर जिऩ्दा कैसे हो
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बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नही थी, लेकिन समय सबके पास था। आज सबके पास घड़ी है पर समय नहीं।
तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है वरना
हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है
ऊसने चुपके से मेरी आँखों पे हाथ रख के पूछा
बताओ कौन
मै मुस्कुरा कर धीरे से बोला मेरी ज़िन्दगी
मैं तुझसे वाकिफ नहीं हूँ मगर इतना बताता हूँ
वो आँखें तुझसे ज़्यादा गहरी हैं जिनका मैं आशिक हूँ
मुझे हाथ की रेखाओं पर इसीलिए विश्वास नहीं है
कैद ये मेरी मुठ्ठी में है क्या खोलेगी किस्मत मेरी
तुझे तो हमारी मोहब्बत ने मशहूर कर दिया बेवफ़ा
वरना तू सुर्खियों में रहे तेरी इतनी औकात नहीं
G.R..s
शायरी वो नही लिखते हैं जो शराब से नशा करते हैं..♡
शायरी तो वो लिखते हैं जो यादों से नशा करते हैं..♡♡♡
सोच रहा हूँ ख़त लिखने की लेकिन क्या पैग़ाम लिखूँ
तुझ बिन काटी रात लिखूँ या साथ गुज़ारी शाम लिखूँ
कोशिश तो होती है कि तेरी हर ख्वाहिश पूरी करूँ
पर डर लगता है के तु ख्वाहिश मे मुझसे जुदाई ना माँग ले
जो मेरे बूरे वक्त मे मेरे साथ हैं
में उन्हें वादा करता हूँ
मेरा अच्छा वक्त सिर्फ उनके लिये होगा...!
गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ- बादल।।।
ये प्यास किसी के मिलने से भुजेगी।।
तेरे बरसने से नही।।।
तेरे लिये शायरी लिखुँ ऐसा तेरा नसीब कहाँ है।
वेवफा
हम तो चँद लफ्जो मे दिल का तूफां बयां करते है।।