वो वक्त वो लम्हे अजीब होंगे दुनियाँ में हम खुश नशीब होंगे
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको क्या हाल होगा जब आप हमारे करीब होगे
वो वक्त वो लम्हे अजीब होंगे दुनियाँ में हम खुश नशीब होंगे
दूर से जब इतना याद करते हैं आपको क्या हाल होगा जब आप हमारे करीब होगे
खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे; दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे; तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे; सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।
उल्फत का यह दस्तूर होता है; जिसे चाहो वही हमसे दूर होता है; दिल टूट कर बिखरता है इस क़द्र जैसे; कांच का खिलौना गिरके चूर-चूर होता है!
जिनकी आँखें आँसुओं से नम नहीं; क्या समझते हो कि उन्हें कोई ग़म नहीं; तुम तड़प कर रो दिए तो क्या हुआ; ग़म छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं।
यह देखा है हमने खुद को आज़माकर; धोखा देते हैं लोग करीब आ कर; कहती है दुनिया पर दिल नहीं मानता; कि छोड़ जाओगे तुम भी एक दिन अपना बनाकर।
वो रो रो कर कहती रही
मुझे नफरत है तुमसे .......!!
मगर एक सवाल आज भी परेशान
किये हुए है ......???
"की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई
क्यूँ ....?????"
जो नजर से गुजर जाया करते हैं; वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं; कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं।
जरुरी नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो, सुंदर और बेहद खूबसूरत हो, अच्छा तो वही इंसान होता है, जो तब आपके साथ हो, जब आपको उसकी जरुरत हो।
जरुरी नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो सुंदर और बेहद खूबसूरत हो
अच्छा तो वही इंसान होता है जो तब आपके साथ हो जब आपको उसकी जरुरत हो
ऐ दोस्त जब भी तू उदास होगा, मेरा ख्याल तेरे पास होगा, दिल की गहराईयों से जब भी करोगे याद हमें , तुम्हे हमारे करीब होने का एहसास होगा..
तेरी आवाज़ तेरे रूप की पहचान है
तेरे दिल की धड़कन में दिल की जान है
ना सुनूं जिस दिन तेरी बातें
लगता है उस रोज़ ये जिस्म बेजान है
मत बता मुझे मन्दिर और मस्जिद के रसूख़ की कहानी
मैं मज़दूर हूँ पता नहीं कितने अल्लाह और भगवान के ठिकाने इन हाथों ने बनाये होंगे
मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने! अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं! मत पूछो क्या गुजरती है दिल पर! जब वो कहते है हमें तुमसे प्यार नहीं!
दिल के टूटने से नही होती है आवाज़! आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़! गम का कभी भी हो सकता है आगाज़! और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास!
हुआ जब इश्क़ का एहसास उन्हें; आकर वो पास हमारे सारा दिन रोते रहे; हम भी निकले खुदगर्ज़ इतने यारो कि; ओढ़ कर कफ़न आँखें बंद करके सोते रहे।