अक्सर पूछते है लोग किसके लिए लिखते हो
अक्सर कहता है दिल काश कोई होता

बुरे हैं ह़म तभी तो ज़ी रहे हैं
अच्छे होते तो द़ुनिया ज़ीने नही देती

होश ओ हवास ओ ताब ओ तवाँ दाग़ जा चुके; अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।

पार्लर जाके रंग तो गोरा कर लोगी पर क्या करोगी
तुम अपने इस काले दिल का

देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी

शायरी से भरे पन्नों को छूकर देखा है कभी...
कोई दिल वहाँ भी धड़का करता है.. .

सपनो में रहने की आदत नहीं है मुझे
पर तुझसे मिलने का ये बहाना अच्छा है

​​रोटियां घूस की खाता रहा है जो;​​​उसे ​तनख्वाह ​तो​ ​​कम ​ही लगेगी।

ये बात कैसे गंवारा करेगा दिल मेरा
कि तेरा नाम किसी गैर की जुबान पे हो

चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उनसे
मेरे बारे में कोई बात ना करना उनसे

मैं जख्म जख्म हूँ जाकर मिलू कीससे ? नमक से तर कपडे यहाँ सब पहेने हुए हैं..

दिल ना-उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है; लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।

आपको ज़ीद हे अगर हमे भूलने की तो, हमे भी ज़ीद हे आपको अपनी याद दिलाने की !!

कितनी शिध्दत से चाह था मेनें उसे
कोई दुशमन भी होता तो वो भी निभा देता.

वो मेरी ग़ज़ल पढ़ कर पहलू बदल के बोले; कोई छीने क़लम इस से ये तो जान ले चला है।