अपना इनाम लेकर ही मानेगा
ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा
राधे राधे
अपना इनाम लेकर ही मानेगा
ये इश्क है जान लेकर ही मानेगा
राधे राधे
सर झुकाने से नमाजें अदा नहीं होतीं; दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए!
पहले तो मोहब्बत का नशा था यारो
दिल टूटा कि नशे से ही मोहब्बत हो गयी...
सिकंदर तो हम अपनी मर्जी से हें,
पर हम दुनिया नहीं दिल जीतने आये हें..
दिल की उम्मीदों का हौंसला तो देखो
इंतजार उसका जिसको अहसास तक नहीं
कुछ अलग सा है हमारी मोहब्बत का हाल,
तेरी चुप्पी और मेरे ख़ामोश सवाल...!!
हजार गम मेरी फितरत नही बदल सकते
क्या करू मुझे आदत हे मुस्कुराने की
कुछ तो शराफत सीख ले ऐ इश्क़ शराब से; बोतल पे लिखा तो है मैं जानलेवा हूँ।
वक्त के तराजू में अब किसे रखूँ
सांसों का हर रिश्ता वो तोड गया मुझसे
हमने दिल वापस मांगा तो वो सर झुका कर बोली , वो तो टूट गया खेलते खेलते ।।
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब
मुनाफे में जेब जले और घाटे में दिल
बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में जब से हुआ है
कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता
हो जाता है जैसे पत्थर से खुदा कोई
ऐसे वो मेरा खुदा होकर पत्थर हो गया
न आह सुने दी न तड़प दिखाई दी..
फ़ना हो गए तेरे इश्क में बड़ी ख़ामोशी के साथ..!
तुम्हारे पास ही होगा, जरा फिर से ढुंढो
मेरे सीने से दिल आखिर गया कहा