भूल से कोई भूल हुई तो भूल समझ कर भूल जाना; पर भूलना सिर्फ भूल को; भूल से भी हमें ना भुला जाना।

रूठना मत कभी हमें मनाना नहीं आता; दूर नहीं जाना हमें बुलाना नहीं आता; तुम भूल जाओ हमें यह तुम्हारी मर्ज़ी है; हम क्या करें हमें भुलाना नहीं आता।

दुआ मांगी थी आशियाने की; चल पड़ी आँधियाँ ज़माने की; मेरा दर्द कोई नहीं समझ पाया; क्योंकि मेरी आदत थी माफ़ करके मुस्कुराने की।

बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख खफा सही एक बार तो देख कोई टूट गया है तेरे रूठ जाने से।

भूल से कभी हमें भी याद किया करो; प्यार नहीं तो शिकायत ही किया करो; इतनी भी क्या नाराजगी कि बात ही ना करो; मिलना नहीं तो दिल से ही याद किया करो।

इस कदर हमारी चाहत का इम्तिहान न लीजिये; क्यों हो हमसे ख़फ़ा ये बयां तो कीजिये; कर दीजिये माफ़ अगर हो गयी है मुझसे कोई खता; यूँ रूठ कर हमसे हमें सज़ा तो न दीजिये।

तुम हँसते हो मुझे हसाने के लिए; तुम रोते हो मुझे रुलाने के लिए; तुम एक बार रूठ कर तो देखो; मर जाएंगे तुम्हें मनाने के लिए।

दिल में बसे हो ज़रा ख्याल करना; अगर वक़्त मिल जाए तो याद करना; मुझे तो आदत है तुम्हे याद करने की; तुम्हें अजीब लगे तो माफ़ करना।

राहों में भी राज़ होता है; फूलों में भी मिज़ाज़ होता है; गलतियां हमारी माफ़ करना ऐ-दोस्त; क्योंकि चमकते चाँद में भी दाग होता है।

माना हुई खता हमसे; पर गलती तो हम सब करते हैं; इस बार आप भी माफ़ कर दो; वरना हर बार तो माफ़ी आप ही मांगते हैं।

माफ़ करना अगर हमने अनजाने में आपको कभी रुला दिया; आप ने तो दुनियां के कहने पर हमें भुला दिया; हम तो वेसे भी अकेले थे; क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया!

मुझको भी समेट लेगी एक रोज़ उस अंधेरे घर की दहलीज़; तुमसे गुजारिश है माफ़ कर देना; उन कांटों को जिसने दिल दुखाया हो तुम्हारा।

हमसे कोई गिला हो जाये तो माफ़ करना; याद ना कर पाये तो माफ़ करना; दिल से तो हम आपको कभी भुलाते नहीं; पर ये धड़कन ही रुक जाये तो माफ़ करना।

ना कभी मुस्कुराहट तेरे होंठों से दूर हो; तेरी हर ख्वाहिश हक़ीकत को मंज़ूर हो; हो जाए जो तू मुझसे खफा; खुदा ना करे मुझसे कभी ऐसा कसूर हो।

चुप रहते हैं क्योंकि कोई खफा ना हो जाए; हमसे कोई रुस्वा ना हो जाए; बड़ी मुश्किल से पाया है तुम को; माफ़ कर देना अगर हमसे कभी कोई खता हो जाए!