हर इलज़ाम का हक़दार वो हमें बना जाती है; हर खता की सजा वो हमें बता जाती है; हम हर बार ख़ामोश रह जाते हैं; क्योंकि वो हर बार रक्षा-बंधन का डर दिखा जाती है। हैप्पी रक्षा-बंधन!
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हर इलज़ाम का हक़दार वो हमें बना जाती है; हर खता की सजा वो हमें बता जाती है; हम हर बार ख़ामोश रह जाते हैं; क्योंकि वो हर बार रक्षा-बंधन का डर दिखा जाती है। हैप्पी रक्षा-बंधन!
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