“कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ..
की खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद”..

जिदंगी में कभी किसी बुरे दिन से रूबरू हो जाओ
तो इतना हौंसला जरुर रखना की दिन बुरा था जिंदगी नहीं

ऐसा संस्कारिक कलयुग आ गया है आजकल की
लड़की की विदाई के वक़्त माँ बाप से ज्यादा तो मोहल्ले के छोरे रो देते हैं

कदर करलो उनकी जो तुमसे बिना मतलब की चाहत करते है
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते है

गम के मारे जो मुस्कुराये हैं,
आंसुओं को भी पसीने आये हैं.
क्या बला है ख़ुशी नहीं मालूम,
हम तो बस नाम सुनते आये है.

पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का,
फर्क सिर्फ इतना है कुदरत में पत्ते सूखते हैं और हकीकत में रिश्ते।

दिमाग पर जोर डालकर गिनते हो गलतियाँ मेरी,
कभी दिल पर हाथ रख कर पूछना की कसूर किसका था

सावन का महीना है... तीज भी आने वाली है... ऐसे में मन को छू जाने वाली इस रचना को आप भी पढ़िए:

बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती है पीहर

बेटियाँ
पीहर आती है
अपनी जड़ों को सींचने के लिए
तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ
वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन
वे रखने आतीं हैं
आँगन में स्नेह का दीपक
बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर

बेटियाँ
ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर
कि नज़र से बचा रहे घर
वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में
देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको
बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर

बेटियाँ
जब भी लौटती हैं ससुराल
बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं
तैरती रह जाती हैं
घर भर की नम आँखों में
उनकी प्यारी मुस्कान
जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव
बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर

मत कर इतनी नफरत किसी से
कि खुद को प्यार करना ही भूल जाएं तू

जिंदगी की उलझनों ने मेरी शरारतें कम कर दीं
और लोग समझते है कि मैं समझदार हो गया

इतनी लम्बी उम्र कि दुआ मत मांग मेरे
लिए... कहीं ऐसा न हो के तू भी छोड़ दे और मौत भी न आये...

अकेले रहने का भी एक अपना ही मज़ा है मेरे दोस्त क्योंकि यकीन होता है की कोई छोड़ कर नही जायेगा

तेरी गलियों में आना तो दूर तुझे भूल से भी याद ना करेंगे
बस एक बार तू कह दे कि मैं किसी और की अमानत हूं

मुझे मालूम है कि ख्वाब झूठे है और ख्वाहिशे अधूरी हैं
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी है

रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते है...लेकिन मुस्कुराने से पराये भी अपने हो जाते है...मुझे वो रिश्ते पसंद है,जिनमें "मैं" नहीं "हम" हो....!!!