इन्सान घर बदलता है लिबास बदलता है
रिश्ते बदलता है दोस्त बदलता है
फिर भी परेशान क्यों रहेता है क्योकि वो खुद को नहीं बदलता

एक शराब की दुकान मे लिखी कुछ
सच्ची लाईन "
तुम किसी लडकी से सच्चा प्यार करते हो
तो,
तुमहे एक दिन मुझसे भी प्यार हो जायेगा...!!!

शाम होते ही दिल उदास होता है टूटे ख्वाब के सिवा कुछ ना पास होता है
आप की याद उस वक़्त बहुत आती है जब किसी अपने की कमी का एहसास होता है

एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर

मैं आज तक नहीं समझ पाया कि
लोगों को "ईश्वर" से शिकायत क्यों रहती हैं
उन्होने हमारे पेट भरने की जिम्मेदारी ली हैं भाई
पेटियां भरने की नहीं.

आँखों से आंसू न निकले तो दर्द बड जाता है
उसके साथ बिताया हुआ हर पल याद आता है
शायद वो हमें अभी तक भूल गए होंगे
मगर अभी भी उसका चेहरा सपनो में नज़र आता है

कभी मुस्कारा के रोये कभी रो के मुस्काये
जब भी तेरी याद तब तुजे भुला के रोये
एक तेरा नाम था जिसे हजार बार लिखा
जितना लिख के खुश होवे उस से ज्यादा मिटा के रोये

मैं तुम्हें भूल भी सकता हूँ मैं तुम्हें भूल भी सकता हूँ इस जहाँ के लिए
ज़रा सा झूठ भी जरूरी है दास्तां के लिए मेरे लबों पे कोई बूंद टपकी आंसू की
ये क़तरा काफी था जलते हुये मकां के लिए मैं क्या दिखाऊं मेरे तार तार दामन में
न कुछ यहां के लिए न कुछ वहां के लिए ग़ज़ल भी इस तरह उज़ार लाया हूँ
कि जैसे बच्चा कोई इम्तिहान के लिए

जबान की हिफाजत
दोलत से ज्यादा मुश्किल है

जिसे दिल मे जगह दी थी
वो ही सब बर्बाद कर गया

कोइ तो गुफ्तगुँ कर लो
कि आज हम बहुत उदास है...

झूठे दिलासे से स्पष्ट इंकार
अधिक बेहतर है

तुम बदले तो मज़बूरिया थी
हम बदले तो बेवफा हो गए

वोह जो तेरा कुछ नहीं लगता
तुझ बिन परेशान रहता है

जब भी होती है गुफ्तगु खुद से
तेरा जिक्र जरूर आता है