यूँ भी तो राज़ खुल जाएगा एक दिन हमारी मुहब्बत का
महफिल मे जो हमको छोड़कर सबको सलाम करते हो

जिस्म उसका भी मिट्टी का है मेरी तरह
ए खुदा फिर क्यू सिर्फ मेरा ही दिल तडफता है उस के लिये

पगली कहती थी कि वो मेरी रग-रग से वाकिफ है
फिर भी मेरे दिल से निकलने का रास्ता नहीं ढुढ़ पाए

लोग कहते हैं जो दर्द देता है वो ही दवा देता है
पता नहीं ऐसी फालतू बातो को कौन हवा देता हैं

‪मोहब्बत‬ करना हमारे बस की बात नहीं
और अगर हो गई तो उसे रोकना कीसी के बाप की औकात‬ नही
N.K.G

सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो
मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते

कौन करता है मुद्दतों तक इन्तजार किसी का दोस्तो
लोग कपड़ो की तरह आजकल मोहब्बत बदलते हैं

हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये
जो मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं मेरी बुराई ना सुन सके

हमारी अदा तो हमेशा मुकुरने की थी ओये बेवफा
ज़िन्दगी वीरान हो गयी किसी से दिल लगाने के बाद

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की
में तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह

अपने हसीन होठो को किसी परदे में छुपा लिया करो
हम गुस्ताख़ लोग हे नजरो से चुम लिया करते हैं

कुछ रोज़ से यारो ये दिल नही लगता चैन नही मिलता
कि दर्द की आदत डालके उसने सितम करना छोड़ दिया

जला के ख्वाबों को देखो हमने जिंदगी आसान कर ली
एक मुट्ठी फिर खाख की चुपके से दामन में भर ली

सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके
अफसोस की मेरा कोई नहीं जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो

पगली कहती थी कि वो मेरी रग-रग से वाकिफ है,,,
फिर भी मेरे दिल से निकलने का रास्ता नहीं ढुढ़ पाए...