ऐसे कुछ दिन भी मेरी जिंदगी ने पाए हैं
आंखें जब रोती रहीं होंठ मुस्कराए हैं
ऐसे कुछ दिन भी मेरी जिंदगी ने पाए हैं
आंखें जब रोती रहीं होंठ मुस्कराए हैं
तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़ककर
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलते है घर से
वरना शौक़ तो अब भी है बारिशों में भीगने का
लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया
इसी कशमकश में कट जाती है हर रात
कि शायद आने वाली सुबह कुछ खुशियाँ लेकर आएगी
लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया
जो निखर कर बिखर जाये वो कर्तव्य है
और जो बिखर कर निखर जाए वो व्यक्तित्व हैं
कौन कहता है दर्द सिरफ मोहब्बत में मिलता है
धूप में खड़ी बाईक पर बैठ कर देखो
मेरी बहादुरी के किस्से मशहुर थे शहर में
तुझे खो देने के डर ने कायर बना दिया
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
कितनी खूबसूरत हो जाती है उस वक्त दुनिया
जब कोई अपना कहता है तुम याद आ रहे हो
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,, ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
अगर हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा न होते
हमने तेरे बाद न रखी किसी से महोब्बत की आस; एक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया!
वो महफिल में अपनी वफ़ा का जिक्र कर रही थी
जब नजर मुझ पर पड़ी तो बात ही बदल दी.....