पलकों पर दस्तक देने कोई ख्वाब आने वाला है; ख़बर मिली है कि वो ख्वाब सच होने वाला है; हमने कहा उसकी पलकों पर जा; मेरा प्यारा दोस्त अभी सोने वाला है। गुड नाईट!

चाँद ने चाँदनी को याद किया; रात ने सितारों को याद किया; हमारे पास ना तो चाँद है ना चाँदनी; इसीलिए हमने अपने चाँद से भी प्यारे दोस्त को याद किया! शुभ रात्रि!

रह-रह कर तेरी याद आये तो क्या करें; तुम्हारी याद दिल से न जाये तो क्या करें; सोचा था ख्वाब में मुलाक़ात होगी; इस ख़ुशी में नींद न आये तो क्या करें। शुभ रात्रि!

पलकों पर दस्तक देने कोई ख्वाब आनेवाला है; खबर मिली है वो ख्वाब सच होने वाला है; हमने कहा उसकी पल्कों पर जा; मेरा प्यारा दोस्त अभी सोनेवाला है। शुभ रात्रि!

दूर रहते हैं मगर दिल से दुआ करते हैं हम; प्यार का फ़र्ज़ घर बैठे अदा करते हैं हम; आपकी याद सदा साथ रखते हैं हम; दिन हो या रात आपको ही याद करते हैं हम। शुभ रात्रि!

पलकों पर दस्तक देने कोई ख़्वाब आने वाला है; ख़बर मिली है कि वो ख़्वाब सच होने वाला है; हमने कहा उसकी पलकों पर जा; जो प्यारा सा दोस्त सोने वाला है। शुभरात्रि!

हमें नहीं पता कौन सी आखिरी हो; ना जाने कौन सी मुलाक़ात आखिरी हो; इसलिए सबको याद करके सोते हैं हम; क्योंकि पता नहीं ज़िंदगी की कौन सी रात आखिरी हो। शुभ रात्रि!

दुआ है कि आप की रात की अच्छी शुरुआत हो; प्यार भरे मीठे सपनो की बरसात हो; जिनको ढूंढ़ती रहीं दिन-भर आपकी आँखें; रब्ब कर सपनों में उनसे मुलाक़ात हो। शुभ रात्रि!

चाँद की चांदनी ने एक पालकी बनाई है; और ये पालकी हमने बड़े प्यार से सजाई है; दुआ है ये हवा तुझसे जरा धीरे चलना; मेरे यारों को बड़ी प्यारी नींद आई है। शुभ रात्रि!

खुद में हम कुछ इस तरह खो जाते हैं; सोचते हैं आपको तो आपके ही हो जाते हैं; नींद नहीं आती है रातों में पर; आपको ख्वाबों में देखने के लिए सो जाते हैं। शुभ रात्रि!

मीठी रातों में धीरे से आ जाती है एक परी; कुछ ख़ुशी के सपने साथ लाती है एक परी; कहती है कि सपनों के सागर में डूब जाओ; भूल के सारे दर्द जल्दी से सो जाओ। शुभरात्रि!

इस कदर हम उनकी मोहब्बत में खो गए; कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हो गए; आँख खुली अँधेरा था देखा एक सपना था; आँख बंद की और उन्हीं सपनों में फिर खो गए। शुभ रात्रि!

जीवन की इस रात में तू चाँद और मैं सितारा होता; आसमान में एक आशियाना हमारा होता; लोग तुम्हें दूर से देखते; नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता। शुभ रात्रि!

सो गए जो आप तो ख्वाब हमारा आएगा; प्यारी सी एक मुस्कान आपके चेहरे पे लाएगा; खोल कर सोना खिड़की और दरवाज़े; वरना आप ही बताओ हमारा ख्वाब कहाँ से आएगा। शुभ रात्रि!

होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का; शायद नज़र से ही वो बात हो जाए; इस उम्मीद में करते हैं इंतज़ार हम रात का; कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए। शुभ रात्रि।