वो भी क्या दिन थे जब बच्चपन में कोई रिश्तेदार जाते समय 10 रुपये दे जाता था
और माँ 8 रुपये टीडीएस काटकर 2 रुपये थमा देती थी

प्यार गुनाह है तो होने ना देना प्यार खुदा है तो
खोने ना देना करते हो प्यार जब किसी से तो कभी
उस प्यार को रोने ना देना

सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका
मुझ पे इतनी इबादत सी कर दे
वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन
ऐ खुदा तु उसको मेरी आदत सी कर दे

तुम्हारा नाम फूल रखूं तो बिखर जाओगे; दिल रखूं तो टूट जाओगे; चलो बिजली रखता हूँ; छोड़ कर जाओगे तो एक घंटे बाद वापस आ जाओगे।

जादू है उसकी हर एक बात मे
याद बहुत आती है दिन और रात मे
कल जब देखा था मैने सपना रात मे
तब भी उसका ही हाथ था मेरे हाथ मे

भूल कर तो देखो एक बार हमें जिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी
जब भी सोचोगे अपनों के बारे में तुम्हे हमारी याद जरुर आएगी

आज हर एक पल खूबसूरत है; दिल में मेरे सिर्फ तेरी सूरत है; कुछ भी कहे ये दुनिया गम नहीं; दुनिया से ज्यादा मुझे तेरी जरुरत है!

मत करो प्यार किसी से फूलों की तरह; फूल तो पल में मुरझा जाते हैं; प्यार करो तो काँटों की तरह; जो चुभने के बाद भी याद आते हैं।

बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये
के वो आज नजरों से अपनी पिलाये
मजा तो तब ही पीने का यारो
इधर हम पियें और नशा उनको आये

जाते वक्त बहोत गुरूर से कहा था उसने....
"तुम जैसे हजार मिलेंगे"
मैंने मुस्कुरा कर कहा.... " मुझ जैसे
की ही तलाश क्यों..?? "

मैं फ़रमाईश हूँ उसकी वो इबादत है मेरी
इतनी आसानी से कैसे निकाल दू उसे अपने दिल से
मैं ख्वाब हूँ उसका वो हकीकत है मेरी

सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको

बचपन में पिताजी के बटुए में हमेशा मेरी जरूरतों से ज्यादा पैसे रहते थे
ये कारनामा मैं कभी अपने बटुए से नहीं दिखा पाया

दिल की आवाज़ को इज़हार कहते हैं; झुकी निगाहों को इक़रार कहते हैं; सिर्फ पाने का नाम इश्क़ नहीं; कुछ खोने को भी प्यार कहते हैं।

प्रेम वो नहीं कि आप किसी को ढूंढे जिसके साथ आप रह सकें बल्कि प्रेम वो है कि आप किसी ऐसे को ढूंढे जिसके बिना आप रह ना सकें।