दिल बदल ना देना सिम कार्ड की तरह
दोस्ती लो मत करना बॅटरी की तरह
प्यार कम ना करना बॅलेन्स की तरह
बीच मे छ्चोड़ ना देना नेटवर्क की तरह
हमेशा मेरा साथ निभाना चारजर की तरह

अपरिपक्व ​प्रेम कहता है मैं तुमसे प्रेम करता हूँ क्योंकि मुझे तुम्हारी जरूरत है। लेकिन परपिक्व प्रेम कहता है कि मुझे तुम्हारी जरूरत है क्योंकि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ।

मैंने ज़माने के एक बीते दोर को देखा है
दिल के सुकून को और गलियों के शोर को देखा है
मैं जानता हूँ की कैसे बदल जाते हैं इन्सान
अक्सर मैंने कई बार अपने अंदर किसी ओर को देखा है

फ़ोन मेरी ज़िन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन गया
फ़ोन पर मिली तू मुझे और प्यार का एक नया किस्सा बन गया
होती थी रोज मुलाकाते फ़ोन पर हमारी
तू मेरे दिल कि रानी मैं तेरे दिल का रजा बन गया

किसी ने एक दिन भगवान से पूछा आपने हमें 2 आँखें 2 कान 2 हाथ 2 पैर 2 होंठ और 2 किडनी दिये हैं। लेकिन सिर्फ एक ही दिल क्यों? भगवान ने उत्तर दिया प्रिये दिल भी 2 दिये हैं बस दूसरा ढूढ़ना पड़ता है।

प्रेमिका: मेरी आँख में कुछ गिरा है! देखना जरा! प्रेमी (आँख में देख कर): एक तिनका है! क्यों न इसे आँख में ही रहने दिया जाये? मैं अगर तुम्हारी आँखों में डूबने लगूंगा तो मुझे सहारा तो मिल जायेगा!

किसी ने कहाँ की इस दिल में अनजान बनके आया करो
किसी को भी शक नो हो इसलिए बिना दस्तक के आया करो
मैं कहता हूँ तुझे ही तो बक्शी है इस दिल की हुकूमत
ये तेरी सल्तनत है तूम तो बेख़ौफ़ होकर आया करो

हाल अपने दिल का मैं तुम्हें सुना नहीं पाता हूँ
जो सोचता रहता हूँ हरपल होंठो तक ला नहीं पाता हूँ
बेशक बहुत मोहब्बत है तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में
पर पता नहीं क्यों तुमको फिर भी मैं बता नहीं पाता हूँ

ये कौन है जो ऐसे मुझे खोल रहा है
मुझ में है मगर मुझसे अलग बोल रहा है
रख देता है ला ला के मुकाबिल नए सूरज
वो मेरे चरागों से कहाँ बोल रहा है
मेरा-जमाना कभी कुछ है तो कभी कुछ
तू कैसे तराजू में मुझे तोल रहा है

अब मेरे पास मेरे जीवन के लिए खरीदने के लिए कुछ नहीं है मैं दुखी नहीं हूँ। मैं बहुत रोता हूँ क्योंकि मैं लोगों को याद करता हूँ। वे मर जाते है और मैं रोक नहीं सकता। वो मुझे छोड़ जाते है और मुझे उनसे और ज्यादा प्रेम हो जाता है।

सवाल तेरे मेरे दर्मियान बाकी है...
नही अभी तो नही खत्म ज़िन्दगी होगी,
अभी तो मेरे कई इम्तिहान बाकी है !
सुबूत इसके सिवा दोस्ती का क्या दूँ मै,
अभी तो चोट के गहरे निशान बाकी है !
जो एक आसमाँ टूट भी गया है तो क्या,
अभी तो सर पे कई आसमान बाकी है

ए खुदा आज ये फ़ैसला करदे उसे मेरा या मुझे उसका करदे
बहुत दुख सहे हे मैने कोई ख़ुसी अब तो मूक़दर करदे
बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना जुदाई के सफ़र को कम करदे
जितना दूर चले गये वो मुझसे उसे उतना करीब करदे
नही लिखा अगर नसीब मे उसका नाम, तो ख़तम कर ये ज़िंदगी और मुझे फ़ना करदे

मेरी हर एक अदा में छुपी थी मेरी तमन्ना,
तुम ने महसुस ना की ये और बात है,
मैने हर दम तेरे ही ख्वाब देखें,
मुझे ताबीर ना मिली ये और बात है,
मैने जब भी तुझ से बात करनी चाही,
मुझे अलफाज़ ना मिले ये और बात है,
कुदरत ने लिखा था मुझको तेरी तमन्ना में
मेरी किस्मत में तु ना थी ये और बात है..
...

बिन देखे मैं तुझसे प्यार कर बेठा बस यही गुनाह मैं एक बार कर बेठा
मिलना तो तुझसे मुकदर को मंजूर न था ये सब जानते हुए मैं मोहब्बत तुझसे बेसुमार कर बेठा
अगर मंजूर हुआ मुकदर को तो फूल फिर खिलेंगे बिछड़े हुए दो दिल फिर मिलेंगे
अगर मिल न पाये इस जनम में तो काया हुआ ये आशिक़ है फिर मिलेंगे किसी और जानम में

दिल के जख्मों को दो हवा नहीं...
दिल मे सहने की अब जगा नही...
हाल उनका मै पूछ क्या करता...
आज खुद का ही जब पता नही...
खिलखिलाकर हमेसा मिलते थे...
भूली उनकी कोइ भी अदा नही....
भोली-भाली कोई थी एक मूरत...
क्या खबर थी उसमें वफा नहीं...
कैसे कह दूँ मै बेवफा उसको...
मुझसे जब उसने कुछ कहा नही...
प्यार करतें हैं बहुत हम उनसे...
प्यार करना कोई भी खता नही...