आशिकों का शहर है ज़नाब,
यहाँ सवेरा सूरज से नही,
किसी के दीदार से होता है..।।

मसला तो तेरे मेरे दरमियान था ऐ मोहोब्बत
फ़िर ये ज़माना बीच मे कहाँ से आ गया

उसे किस्मत समझ कर सीने से लगाया था
भूल गए थे के किस्मत बदलते देर नहीं लगती

सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता ह

तैवर दीखाना हमे भी आता है पगली
लेकीन माँ ने लडकीयो की ईजजत करना सिखाया हे

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है

तेरे दिल तक पहुँचे मेरे लिखे हर लब्ज
बस इसी मकसद से मेरे हाथ कलम पकड़ते है

कौन कहता है दर्द सिर्फ महोब्बत में होता है
धुप में खड़ी बाइक पर बैठ कर देखो

अब न पूछेंगे तेरा हाल बाग़ की कलियों से
अब तेरी खुशबू तेरी पहचान को काफी है

मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं

ना देख ऐसी निगाहों से मुझको अय ज़ालिम
वरना तेरा नाम भी आएगा मेरे नाम के बाद

सुकून मिलता है दो लफ्ज़ कागज पर उतार कर
चीख भी लेती हूँ और आवाज भी नहीं होती

हम ‪नवाब‬ इसलिए है क्यो कि हम ‎लोगो‬ पे नही
‎लोगो के‬ दिलो पे ‎राज‬ करते है

किसी के चाहने से कोई किसी को मिला होता
मेरा यार तो फिर हर किसी को मिला होता

!!!...कल तुझसे बिछड़नेका फैसला कर लिया था...!!!!!!...आज
अपने ही दिल को रिश्वत दे रहा हूँ...!!!