जिंदगी उसी को आज़माती है; जो हर मोड़ पर चलना जानते हैं; कुछ पाकर तो हर कोई मुस्कुराता है; पर जिंदगी उसी की है जो सब कुछ खोकर मुस्कुराता है।

गुज़री हुई ज़िंदगी को कभी याद ना कर; तक़दीर में जो लिखा है उस की फरियाद ना कर; जो होना है वो हो कर ही रहेगा; फ़िक्र में तू अपनी हँसी बर्बाद ना कर

प्यार मे कोई दिल तोड़ देता है दोस्ती मे कोई भरोसा तोड़ देता है
ज़िंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है

महत्त्वाकांक्षा वो नहीं है जो इंसान करना चाहता है बल्कि वो है जो इंसान करता है क्योंकि बिना कर्म के महत्त्वाकांक्षा बस एक कल्पना है।

ज़िंदगी में बार बार सहारा नही मिलता बार बार कोई प्यार से प्यारा नही मिलता
है जो पास उसे संभाल के रखना खो कर वो फिर कभी दुबारा नही मिलता

रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा; प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा; थक कर ना बैठ अए मंजिल के मुसाफ़िर; मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा।

एक प्यारी सोच: किसी से उम्मीद किए बिना उसका अच्छा करो क्योंकि किसी ने कहा है कि जो लोग फूल बेचते हैं उनके हाथ में खुश्बू अक्सर रह जाती है।

में हर किसी के लिए अपने आपको अच्छा साबित नही कर सकता
लेकिन मै उनके लिए बेहतरीन हूँ जो मुझे समझते है इंसान खुद की नजर में सही होना चाहिये

जिंदगी जीता हुँ खुली किताब की तरह ना कोई फरेब ना कोई लालच
मगर मे हर बाजी खेलता हूँ बीना देखे क्योंकि ना मुझे हारने का गम ना जीतने का जश्न

एक अच्छी शादी जब दो पूर्ण व्यक्ति आपस में मिलते है बल्कि तब होती है जब दो अपूर्ण व्यक्ति अपने मिलकर अपने मतभेदों का मिलकर आनंद उठाते है।

हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिए; ज़िंदगी भोर है सूरज से निकलते रहिए; एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे; धीरे-धीरे ही सही राह पर सदा चलते रहिए।

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये
कई बार पुकारा इस दिल में तुम्हें
और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोय

क्यों डरना कि ज़िंदगी में क्या होगा; हर वक़्त क्यों सोचना कि बुरा होगा; बढ़ते रहो मंज़िल की तरफ हर दम; कुछ ना मिला तो क्या हुआ तज़ुर्बा तो नया होगा।

किसी का ये सोचकर साथ मत छोड़ना की उसके पास कुछ नहीं तुम्हे देने के लिए
बस ये सोचकर साथ निभाना की उसके पास कुछ नहीं तुम्हारे सिवा खोने के लिए

दीपक तो अँधेरे में ही जला करते हैं; फूल तो काँटो में ही खिला करते हैं; थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर; हीरे तो अक्सर कोयले में ही मिला करते हैं।