मोबाइल पर whatsapp और facebook चलाते चलाते समझ आ गया
कि द्रोणाचार्य ने एकलव्य से अंगूठा मांगकर गलती नहीं की थी

सच कहता हु करलो विश्वास, हमसे लडना मूश्किल होगा।वरना लिखेंगे एसा इतिहास कि पढना भी मूश्किल होगा...

यूं भी तो राज़ खुल ही जायेगा एक दिन हमारी मोहब्बत का
महफ़िल मैं जो हम को छोड़ कर सब को सलाम करते हो

वो जिसे समझती थी ज़िन्दगी मेरी धड्कनों का फरेब था; मुझे मुस्कुराना सिखा के वो मेरी रूह तक रुला गयी!

जब तुझे पहली बार देखा था, वो भी था मौसम ए तरब कोई,
याद आती है दूर की बातें, प्यार से देखता है जब कोई..!
er kasz

लिखी कुछ शायरी ऐसे तेरे नाम से….
कि जिसने तुम्हें देखा नहीं, वो भी तुम्हें
बेमिसाल कहने लगे है…..

जाने क्या अंजाम होगा आजकल के इश्क़ का
लडकिया हर दूसरे लड़के में वफ़ा ढूंढ़ती है और लड़के हर गली में रूम

बहुत दुर है ‪‎ऊसका शहर‬ ‪‎मेरे शहर‬ से यारो
मगर फिर भी ‪‎हवा के हर झौके‬ से ‪ऊसका हाल‬ पुछ लेता हुँ

रात पूरी जाग कर गुजार दूं तुम्हारी खातिर
एक बार कह के तो देखो कि तुम्हे भी मेरे बिना नींद नहीं आती

शायद हम ही बेवफा थे कि झटके से उनके दिल से निकल गए; उनकी वफा तो देखिये कि अब तक दिल में घर किए बैठे हैं।

सोचते‬ हैं, जान‬ अपनी ‪ ‎उसे‬ मुफ्त ‎ही‬ दे दें‬,
इतने‬ मासूम ‪से‬ खरीदार‬ से ‪ ‎क्या‬ लेना ‪देना‬..

जहाँ से तेरा मन चाहे वहा से मेरी जींदगी को पढ ले
पन्ना चाहे कोई भी खुले हर पन्ने पर तेरा ही नाम होगा

पागल नहीं थे हम जो तेरी हर बात मानते थे...
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बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नही लगता था..!!!

"बोतल छुपा दो कफ़न में मेरे, शमशान में पिया करूंगा, जब खुदा मांगेगा हिसाब, तो पैग बना कर दिया करूंगा"

हर तन्हा रात में इंतज़ार है उस शख़्स का
जो कभी कहा करता था तुमसे बात न करूँ तो रात भर नींद नहीं अाती