अगर मेरी शायरियो से बुरा लगे तो बता देना दोस्तों
में दर्द बाटने के लिए लिखता हु दर्द देने के लिए नही

हम तो हँसते हैं दूसरो को"हंसाने की खातिर"..
दोस्तों
वरना "दिल पे ज़ख़्म" इतने हैं क रोया भी नहीं जाता

अब तो सजाएं बन चुकीं है गुजरे हुए वक्त की
यादें ,
.
ना जानें क्यों मतलब के लिए मेहरबान होते
है लोग

ज़माने के सामने कैसे आते तेरी वेवफाई पे रोने के लिए
सारा जहाँ छोड़ जो बैठे हम सिर्फ एक तेरा होने के लिए

गुफ्तगुँ करते रहा कीजिए,
यही इंसानी फितरत है।
वरना बंद मकानों में
अक्सर जाले लग जाते हैं...।
💕☝

अजीब सी दास्तां है मेरी भी शब्द लिखता हूँ फिर मिटाता हूँ
और कई लोग तो तब तक पूरी शायरी ही लिख डालते है

उसे लगता है उसकी चालाकियाँ मुझे समझ नही आती; मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ उसे अपनी नज़रों से गिरते हुए।

मुझ से रह रह कर कहती हैं हांथों की लकीरें मेरी
वो तो मेरा तब भी नहीं था जब उसका हांथ मेरे हांथों में था

​मेरा ख़याल ज़ेहन से मिटा भी न सकोगे​;​एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे​;​​तो सारी उम्र मुस्करा न सकोगे​।

लोग समजते हे की में तुम्हारे हुस्न पे मरता हूँ , अगर तुम भी यही समजते हो तो सुनो ; जब हुस्न खोदो तब लौट आना !!

अपनी बेबसी क्या बताऊ यारों
ज्यादा हँस भी ले तो
माँ बोलती है . ... . .. ♡
हरामखोर आज किस छोरी को नंबर दे आया

मोबाइल के एक फोल्डर में तेरी तस्वीरें इकठ्ठा की है मैंने
बस इसके सिवा और ख़ास कुछ जायदाद नहीं है मेरी

इतना ही ग़ुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती
ऐ बेवफा......
हुस्न पर क्या इतराना जिसकी औकात ही बिस्तर तक हो ..!!

खामोशियाँ कर दे बयाँ, तो अलग बात है !!
कुछ दर्द ऐसे भी है जो लफ्जो में नहीं उतारे जाते है !!
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हज़ार चेहरों में उसकी झलक मिली मुझको,
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पर दिल की ज़िद्द थी,
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अगर वो नहीं तो उस के
जैसा भी नही....