तेरा इस कदर ! वारिस मे आना
ओर आकर खिड़की पर
मुस्कुराना !फ़िर पल्के झुकाना
नही भुलुन्गा
जब तक है जान
जब तक है जान
तेरा इस कदर ! वारिस मे आना
ओर आकर खिड़की पर
मुस्कुराना !फ़िर पल्के झुकाना
नही भुलुन्गा
जब तक है जान
जब तक है जान
" मेरा विरोध करना ... आसान है, पर मेरा विरोधी बनना .... संभव नही । क्योंकि जब-जब भी मैं बिखरा हूँ ,.... दुगनी रफ़्तार से ..... निखरा हूँ ।!
बचपन में पिताजी के बटुए में हमेशा मेरी जरूरतों से ज्यादा पैसे रहते थे
ये कारनामा मैं कभी अपने बटुए से नहीं दिखा पाया
पहले ज़िन्दगी छीन ली मुझसे; अब मेरी मौत का भी वो फायदा उठाती है; मेरी कब्र पे फूल चढाने के बहाने; वो किसी और से मिलने आती है।
किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना ऐ दोस्त
बड़े नसीब वाले होते है वो जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर
गम के संजोके अच्छे लगते है,
मुझे उमर भर के रोग अच्छे लगते हैं
ना कर मुझ से वफ़ा की बाते
मुझे बेवफा लोग अच्छे लगते हैं
सारी उम्र पूजते रहे लोग अपने हाथ से बने उस पत्थर के खुदा को,
हमने खुदा के हाथ से बने हुए एक को चाहा तो हम गुनहगार हो गए.
Er kasz
अगर हंसने मुस्कुराने के लिये आप ईश्वर का शुक्र नहीं करते
तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये उससे शिकायत का कोई हक़ नहीं है
जो दिल का दर्द भुलाने के लिए शराब पीते है वो कभी साथ में नमकीन नही खाते
क्योंकि नमकीन तो दिलासा देने वाले ही खा जाते हैं
बहता पानी ही पत्थरों पर निशान छोड़ता है
पर पत्थर पानी पर कोई निशान नहीं छोड़ता है
इसलिए कहते हैं चलने का नाम ज़िन्दगी है
रातें गुमनाम होती है दिन किसिके नाम होता है
हम ज़िंदगी कुछ इस तरह जीते है
की हर लम्हा सिर्फ़ दोस्तों के ही नाम होता है
ना कर यु दीवानगी ऐ दीवाने आशीक इश्क ने बहुतो का दील तोडा है
मत भुल वो घडी तेरे दर्द की इस इश्क ने पेहले भी तेरा साथ छोडा है
इस बहते दर्द को मत रोको,ये तो सज़ा है किसी के इंतज़ार की,
लोग इन्हे आंसू कहे या दीवानगी पर ये तो निशानी है किसी के प्यार की.
ज़िन्दगी में जब आये खुशियाँ तो उसे चखना तुम मिठाई की तरह
मुमकिन है गम भी आयेंगे यहाँ तो उसे भी कुबूल करना तुम दवाई की तरह
महफ़िल में कुछ तो सुनाना पड़ता है; ग़म छुपा कर मुस्कुराना पड़ता है; कभी हम भी उनके अज़ीज़ थे; आज-कल ये भी उन्हें याद दिलाना पड़ता है।