क्या बटवारा था हाथ की लकीरों का भी
उसके हिस्से में प्यार मेरे हिस्से में इंतज़ार

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के
ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले

उस शेर की निगाहों में भी एक अजीब सा खौफ था जिसने जंगल में मेरे पैरों के निशाँ देखे थे

बुजदील हम नही जो पीछे से वार करते है
अरे हम तो वो है जो शेर को भी जगा कर शिकार करते है

मेरी आँखों में छुपी उदासी को महसूस तो कर..
हम वह हैं जो सब को हंसा कर रात भर रोते हैं…

हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग

हँसकर दर्द छुपाने की कारीगरी मशहूर थी मेरी, पर कोई हुनर काम नहीं आता जब तेरा नाम आता...

चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं

कहते हैं कब्र में सुकून की नींद होती है
अजीब बात है कि यह बात भी जिन्दा लोगों ने कही

आदत बऩा ली मैने खुद को तकलीफ देने की
ता कि जब कोई आपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो

उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा
सबसे बुरी लत कौनसी है मैंने कहा तेरे प्यार की..

इतिहास में जाके सुन लेना हमारी कहानी,
खून बहाया इतना नही था जितना नदियों में पानी..!!

इतना आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ
शायद तुमने ही पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे

हम जमाने में यूँ ही बेवफ़ा मशहूर हो गये फराज ; हजारों चाहने वाले थे किस-किस से वफ़ा करते।

हिचकियों को न भेजो अपना मुखबिर बना कर...
हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के अलावा...