बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है।
बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है।
अजीब मजाक करती हैं यह नौकरी
काम मजदूरों वाले कराती हैं और लोग साहब कहकर बुलाते हैं
हमारा तर्जुबा हमें ये भी सिखाता है
जो जितना मक्खन लगाता है वो उतना ही चूना लगाता है
आज कुछ नही है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में....
कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो....
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मुहब्बत की
कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए
क्योँ रोते हो इस बेवफा दुनिया मेँ
आँसुओँ से तकदीर बदलती तो आज मेरा भी कोई अपना होता
सुना है तुम तकदीर देखने का हुनर रखते हो
मेरा हाथ देखकर बताना कि पहले तुम आओगे या मौत
हर एक बॉय की दिल की ख्वाइश होती है
खुद कितने बड़े कमिने होंगे पर लड़की शरीफ ही चाहिए
रात पूरी जाग कर गुजारूं तेरी खातिर
एक बार कह कर तो देख मुझे भी तेरे बिना नींद नही आती
शायरी से ज्यादा प्यार मुझे कहीं नही मिला..
ये सिर्फ वही बोलती है, जो मेरा दिल कहता है…
नफरत करनी हो तो हमसे इस कदर करना
के तुम छोड के जाओ तो हम किसी से मुहब्बत के काबिल न रहे
इश्क करने चला है तो कुछ अदब भी सीख लेना
इसमें हँसते साथ है पर रोना अकेले ही पड़ता है
er kasz
हमारे दुश्मनों को हमारे सामने सर उठाने की हिम्मत नही
और वो पगली दिल से खेल कर चली गयी
सिखा दिया दुनिया ने मुझे अपनों पे भी शक करना
मेरी फितरत में तो था गैरों पे भरोसा करना
गुलाम हूँ अपने घर के संस्कारो का वरना
लोगो को उनकी औकात दिखाने का हुनर आज भी रखता हूँ