सब कुछ है मेरे पास पर दिल की दवा नहीं; दूर है वो मुझसे पर मैं उससे ख़फ़ा नहीं; मालूम है कि वो अब भी प्यार करता है मुझसे; वो थोड़ा सा ज़िद्दी है मगर बेवफ़ा नहीं।

दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा
यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा

हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है; हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है; तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा हिज्र की रातों के संग; हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।

प्यार की हर रसम निभाई थी मैने
तुम्हें पाने के लिए हर किश्ती डुबाई थी मैने
तुमने कदर ना जानी मेरी वफाओ की
तुम्हारी चाहत में हर खुशी लुटाई थी मैने

प्यार की हर रसम निभाई थी मैने
तुम्हें पाने के लिए हर किश्ती डुबाई थी मैने
तुमने कदर ना जानी मेरी वफाओ की
तुम्हारी चाहत में हर खुशी लुटाई थी मैने

​यह ना थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता; तेरे वादे पर जाएँ हम तो यह जान झूठ जाना; कि ख़ुशी से मर ना जाते अगर ऐतबार होता।

दिल में छिपी यादों से मैं सवारूँ तुझे,
तू दिखे तो अपनी आँखों मै उतारू तुझे !
तेरे नाम को अपने लबों पर ऐसे सजाऊ,
गर सो भी जाऊ तो ख्वाबो में पुकारू तुझे !!

हमनें अपनी साँसों पर उनका नाम लिख लिया; नहीं जानते थे कि हमनें कुछ गलत किया; वो प्यार का वादा करके हमसे मुकर गए; ख़ैर उनकी बेवाफाई से हमनें कुछ तो सबक लिया!

नहीं करती थी प्यार तो मुझे बताया होता; गौर फरमाइएगा; नहीं करती थी प्यार तो मुझे बताया होता; बुला के पार्क में यूं धोखे से अपने भाइयो से; तो ना पिटवाया होता।

परिन्दों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की
रखते हैं जो होसला आसमां को छूने का
उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की

क्या बनाने आए थे, क्या बना बैठे
कहीं मन्दिर बना बैठे, कहीं मस्जिद बना बैठे
हम से अच्छी तो जात है परिंदों की
कभी मन्दिर पे जा बैठे, कभी मस्जिद पे जा बैठे

हर एक सांस पर तेरा नाम लिए जा रहे है
हर चहरे में तेरा चहरा देखे जा रहे है
तुम्हारे तसव्वुर में इस कदर बैठे है
अंदाजा भी नहीं होगा कितने जाम पिए जा रहे है

टूटे हुए दिल ने भी उसके लिए दुआ मांगी
मेरी साँसों ने हर पर उसकी ख़ुशी मांगी
न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से
के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी

ए दिल किसी की याद में रोना फ़िज़ूल है
आँसू बड़े अनमोल हैं इन्हे खोना फ़िज़ूल है
रो तू उन के लिए जो तुझ पर निसार है
उन के लिए किये रोना जिन के आशिक़ हज़ार हैं

मोहब्बत में लाखों ज़ख्म खाए हमने!
अफ़सोस उन्हें हम पर ऐतबार नहीं!
मत पूछो क्या दोस्तों

किया गुजरती है इस दिल पर! जब वो कहती है संजीव हमें तुमसे प्यार नहीं!