वोह जो तेरा कुछ नहीं लगता
तुझ बिन परेशान रहता है

बच्चे जब बड़े हो जाते है
बाप के सर पर खड़े हो जाते है

मुद्दतो बाद उस लापरवाह ने, हाल पूछ के बेहाल कर दिया..

न इतराइए देर लगती है क्या
जमाने को करवट बदलते हुए

आईना देख क्या लिया मैंने
अब कोई भी बुरा नहीं लगता

मेरी नीँदे उड़ाने वाले . . . .
अब तेरे ख्वाब कौन देखेगा .

लो मैं आँखों पर हाथ रखता हूँ
तुम अचानक कही से आ जाओ

दिल मेरा कूछ टूटा हुआ सा है
उससे कूछ रुठा हुआ सा है

हमने एक बीज : मोहब्बत : का बोया और एक फसल : दर्द : की काटीह

जाने क्या सोचकर नहीं गुजरा
एक पल रातभर नहीं गुजरा

जब भी होती है गुफ्तगु खुद से
तेरा जिक्र जरूर आता है

मै उन्हे बदला हुआ दिखता हुँ
कभी वो खुद को भी तो देखे

जा दी तुझे रूलाने की इजाजत
हसते भी तो तेरी वजह से थे

कमाल की फनकारी है तुझ में
वार भी दिल पे राज भी दिल पे

जिस तरह ये दर्द मेरे है
काश उस तरह तु भी मेरी होती
G.R..s