कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से
कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से
जब इंसान अंदर से टूट जाता है
तो बहार से खामोश हो जाता है
जो लोग दर्द को समझते हैँ
वो कभी भी दर्द की वजह नहीँ बनते
कभी शोख़ है,
कभी गुम सी है...!
ये ठंड भी, सच में,
तुम सी है....!!
खुदा खुशियां भी देगा तो उनको; जिनके अपनाए थे कभी गम हमने।
वो नींद सबसे मीठी कहलाती है
जब "माँ" मेरे बाल सहलाती है
मेरी शराफत को न आजमा ऐ जालिम। बोलने का हुनर हम भी रखते है।
जी भर गया है तो बता दो
हमें इनकार पसंद है इंतजार नहीं
Er kasz
सुनो तुम क्युँ मरते हो मुझ पे
मैँ तो जिन्दा ही तुम से हुँ
आज फिर से जीने का सोचा
उनकी याद आई और फिर से हौसले टुट गये
उसने काहा Nand पागल हो तुम
मैंने कहा बेशक जान सिर्फ तेरे लिए
दिल मेँ बुराई रखने से बेहतर है; अपनी
नाराजगी जाहिर कर दो..!!!
किसी के भी पीछे इतना न भागो
की अपनी ही चाल का अंदाजा न हो ...!!!! !
भरे बाजार में हर एक लड़की JALENGI
जब अपनी वाली अपने साथ CHALENGI