दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए
दो लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए
हज़ारों लफ्ज़ लिखे ज़माने के लिए
ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार: दोनों मिल कर उसे भूल जाते है।
तुम्हारे बाद मैं जिस का हो गया
पगली उसी का नाम तन्हाई हैं
सुनो वफा की शर्त ना रखो
मुझे तुम हारते हुए अच्छे नही लगते
और भी बनती लकीरें दर्द की शुकर है खुदा तेरा जो हाथ छोटे दिए !!
ऐ अन्ज़ान उससे कह दो कि, मोहब्बत नही आती, पर रहम तो आता होगा ना?
जैसे बयान से मुकर जाये कोई गवाह ...
बस इतनी सी ही बेवफा थी वो ...
😷खामोश सा मंज़र हे ग्रुप में
कही सबने मेग्गी तो नहीं खा ली
जो लोग दर्द को समझते हैं
वो लोग कभी भी दर्द की वज़ह नही बनते
सुनो ना मेरी एक छोटी सी इच्छा है
एक टेबल दो कॉफी मैं और तुम
झूठ भी बड़ी अजीब चीज है..
बोलना अच्छा लगता है ...
सुनना बुरा.........
तलाश कर मेरी कमी को Apne dil मे
दर्द हो तो समझ लेना की Rishta अभी बाकी है
तड़पती देखता हूँ जब कोई चीज
.
उठा लेता हूँ अपना दिल समझ कर
सारी दुनिया की खुशी अपनी जगह
उन सबके बीच तेरी कमी अपनी जगह
हमे दुवाए दिल से मिली है
कभी खरीदने को जेब में हाथ नही डाला