तू जो बिछड़ा तो ये महसूस हुआ
जिस्म से रूह का रिश्ता क्या है
तू जो बिछड़ा तो ये महसूस हुआ
जिस्म से रूह का रिश्ता क्या है
काश कोई ऐसी सुबह भी मिले मुझे
के मेरी आँख खुले तेरी आवाज से
कौन समझ पाया है आज तक हमें
हम अपने हादसों के इकलौते गवाह है
भले ही अपने जीगरी दोस्त कम हैं
पर जीतने भी है परमाणु बम हैं
जब भी मौका मिलेगा ना
तो जिस्म पे नही सीधे घाव पर वार करुंगा
इत्तु सा दिल है मेरा इत्तु सा
और इत्ते बड़े बड़े ग़म झेलता है..
हमे दुवाए दिल से मिली है,
कभी खरीदने को जेब में हाथ नही डाला..
अपनी मौत भी क्या मौत होगी
यूँ ही मर जायेगे तुम पे मरते मरते !!
बहुत दूर तक जाना पड़ता है,
सिर्फ यह जानने के लिए, नज़दीक कौन है..
मुझे इतना भी मत घुमा ए जिंदगी
मै शहर का शायर हूँ MRF का टायर नही
क्या कहूँ कितना मुश्किल है
जिसके लिए जीना उसी के बगैर जीना
ज़िन्दगी भर के इम्तिहान के बाद
वो नतीजे में किसी और के निकले
यु ही उम्मीद दिलाते है ज़माने वाले
कब लौटकर आते है जाने वाले
बडी देर करदी मेरा दिल तोडने मे
न जाने कितने शायर आगे चले गये
जब तक न लगे बेवफाई की ठोकर; हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है!