ना कोई हमदर्द था ना ही कोई दर्द था
फिर एक हमदर्द मिला उसी से सारा दर्द मिला

उनकी नजरो में फर्क अब भी नहीं पहले मुड़ के देखते थे
और अब देख के मुड़ जाते हैं

सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा ,
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता ह

रिश्ते अगर बढ़ जाये हद से तो ग़म मिलते है
इसलिए आजकल हम हर शख्स से कम मिलते है

खुदा करे मेरी जिंदगी में ऐसा मुकाम आये,
तेरी शादी के कार्ड पे मेरा नाम आये xD

भारत का राष्ट्रीय खेल शायद अब "दिल" कर देना चाहिये? बहुत लोग खेलते हैं इससे...

कभी भी ख़ुशी मे शायरी नहीं लिखी जाती है
ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है

वो अपनी ज़िंदगी में हुआ मशरूफ इतना;
वो किस-किस को भूल गया उसे यह भी याद नहीं..॥

तेवर तो हम वक्त आने पे दिखायेंगे
शहेर तुम खरीदलो उस पर हुकुमत हम चलायेंगे

बच न सका ख़ुदा भी मोहब्बत के तकाज़ों से,एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला..

मेरी तलाश का है जुर्म या मेरी वफा का क़सूर; जो दिल के करीब आया वही बेवफा निकला।

तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर
वरना मैं अभी दे दूँ जिस्म से रूह निकालकर

कमाल का शख्स था जिसने ज़िंदगी तबाह कर दी; राज़ की बात है दिल उससे खफा अब भी नहीं।

आज हिम्मत कर कै एक छोरी को प्रोपोज किया
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डाकण मुन्डा पै नटगी।😭😜😝u

अगर मालूम होता की इतना तड़पाता है इश्क
तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते