रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये
रोशनी में कमी आ जाए तोह बता देना
दिल आज भी हाज़िर हैं जलने के लिये
मशवरा दे रहे हो इश्क़ का....
जनाब लगता है...
दिल अभी तक सलामत है आपका ....
वो पूछते हैं क्या नाम है मेरा…
मैंने कहा बस अपना कहकर पुकार लो…!
मेरे दिल से खेल तो रहे हो पर
ज़रा संभल के टूटा हुआ है कहीं लग ना जाए
ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की शिद्दत
दर्द तो दर्द होता हैं
G.R..s
जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते
थी जिसकी मौहब्बत में मौत भी मंजुर
आज उसकी नफरत ने जिना सिखा दिया
तुम पढते हो इसलिए लिखता हूँ
वरना कलम से अपनी कुछ ख़ास दोस्ती नहीं
नाम से नाम नहीं जुड़ा करते बुद्धु
दिल से दिल जुड़ा करते हैं समझे
खुद ही मुस्कुरा रहे हो साहिब
पागल हो या मोहब्बत की शुरूआत हुई है
वो मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी
परेशान पति का कोई मज़हब नहीं होता
ख़ज़ाने में थे सिर्फ़ दो आँसु मेरे
जब याद आयी आपकी तो वो भी लूट गए
चुइंगम की तरह चबाया करूं नाम तेरा
न हलक से उतरे न फेंकने का मन होय
कभी उदास बेठे हो तो बताना पागल
हम फिर से दिल दे देंगे खेलने के लिए
ऐ दिल सोजा अब तेरी शायरी पढ़ने
वाली अब किसी और शायर की गजल बन गयी है