लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया

आइना भी भला कब किसी को सच बता पाया है; जब भी देखो दायाँ तो बायां ही नज़र आया है।

लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया

सांसों ने छुआ जिस दिन से तेरी सांसों को
मेरी रातों की नींद हड़ताल पर चली गई

इश्क़ पे मुक़दमा कर के क्या मिल जाएगा
हुश्न वालो को पकड़ो जो फसाद की जड़ है

कौन कहता है दर्द सिरफ मोहब्बत में मिलता है
धूप में खड़ी बाईक पर बैठ कर देखो

मेरी बहादुरी के किस्से मशहुर थे शहर में
तुझे खो देने के डर ने कायर बना दिया

क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है
ख़त पर हैं आँसू गिरे और कलम खामोश है

सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा
जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है

उज़ड़ जाते है सर से पाव तक वो लोग
जो किसी बेपरवाह से बेपनाह मोहब्बत करते है

लिखा था राशि में आज खजाना मिल सकता हे
की अचानक गली में दोस्त पुराना दिख गया

टूटे हैं शीशा दिल हाय दिल इतने के हल-ए-दर्द; रखते हैं पाँव ख़ाक पर सौ बार देख कर।

कितनी खूबसूरत हो जाती है उस वक्त दुनिया
जब कोई अपना कहता है तुम याद आ रहे हो

मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
अगर हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा न होते

तुम फिर ना आ सकोगे बताना तो था ना मुझे; तुम दूर जा कर बस गए और मैं ढूँढता रह गया।