रात का अँधेरा पूछ रहा है
कहाँ गया वो रात भर बात करने वाला
G.R..s

नहीं मिलेगा कोई तुझे हम जैसा
जा इजाज़त है तुझे ज़माना आज़मा ले

जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ
मगर, किसी के ऐतबार का नहीं

दर्द जब मीठा लगने लगे तो समझ जाइये ज़नाब,

कि आपने जीना सीख लिया..!

ऐ खुदा मुसीबत मैं डाल दे मुझे
किसी ने बुरे वक़्त मैं आने का वादा किया है

शख्सियत अच्छी होगी तब ही दुश्मन बनेंगे,वरना बुरे की तरफ़ देखता कौन हैं."

हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाये, बहुत चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये !

वोह अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझानें पढ़ें
हमने मुहब्बत की है कोई वकालत नहीं

मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका
चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

कितना मुश्किल है ज़िन्दगी का ये सफ़र
खुदा ने मरना हराम किया, लोगों ने जीना!

खुद ही रोये ओर रौकर चुप हो गये....!!
ये सौच कर कि आज कौई अपना होता तो रोने ना दैता....!!

नींद को आज भी शिकवा है मेरी आँखों से।
मैंने आने न दिया उसको तेरी याद से पहले।

सुना है वो गुस्से मे हर चीज़ तोड़ देते हैं
मेरा तो दिल है उनके पास, खुदा खैर करे

माना की मरने वालों को भुला देतें है सभी,
मुझे जिंदा भूलकर उसने कहावत ही बदल दी..

क्या हुआ अगर हम किसी के दिल में
नहीं धङकते ….?
आँखों में तो बहुतो के खटकते हैं ….!!!