ना जाने उनका वक्त आज कहाँ गुजरता है
जिनके लिए वक्त से भी ज्यादा कीमती थे हम

कन्हैया इतनी मनमानियाँ भी अच्छी नहीं होती
तुम सिर्फ अपने ही नहीं मेरे भी हो

हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…!!!!

बादशाह नहीं बाजीगर से पहचानते है लोग
क्यूकी हम रानियो के सामने झुका नहीं करते

हम तो निकले थे तलाशे इश्क में अपनी तनहाईयों से लड़ कर
मगर गर्मी बहुत थी गन्ने का रस पी के वापिस आ गए

वो भी शौकीन हैं इतने कि गूगल पर हमारी शायरी ढूंढते हैं
उनको लगता है कि जज्बात भी बाजार में बिकते हैं

वो मुहब्बत भी उसकी थी वो नफरत भी उसकी थी
वो अपनाने और ठुकराने की अदा भी उसकी थी
मैं अपनी वफा का इन्साफ किस से मांगता
वो शहर भी उसका था वो अदालत भी उसकी थी

शराफत से रह रहे है रहने दो जब मन हुआ इस कातिल दुनिया पे राज करने का
तो ना गोली चलेगी ना तलवार हमारी मोजडी के निशान देखकर लोग बोलेंगे ये बापु का साम्राज्य है

हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​;
लोग निकले ही नहीं ​ढूंढने वालों की तरह​;
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​;
उस ने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।

कोई नहीं डांटता किसी को मुझ पर प्यार नहीं आता
अब वो स्कूल जाने के नाम पर बुखार नहीं आता
सुबह सुबह आ जाते थे खेलने के लिए बुलानेअब
तो मिलने को भी कोई यार नहीं आता

माना कि 36 लडके मरते है
तेरी चाल पर
72 छोरी मरती है
Mere Attitude पर....!!!

जीँदगी हो या शतरंज मजा तभी आता है
जब रानी मरते दम तक साथ हो

काश वो आज कसके गले लगा ले मुझे
बहुत थकान सी हो रही है रोते रोते

जो मैं रूठ जाऊँ तो तुम मना लेना,
कुछ न कहना बस सीने से लगा लेना।

मेरा होकर भी गैर की जागीर लगता है
दिल भी साला मसला-ऐ-कश्मीर लगता है