काश उसे चाहने का अरमान ना होता; मैं होश में रहते हुए अनजान ना होता; ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको; या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता।

न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता! न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता! क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे! शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता!

गिले कागज कि तरह है मेरी ज़िंदगी
कोइ जलाता भी नही और कोई बहाता भी नही
ऐसे अकेले हो गए हैं हम आज-कल
कोई सताता भी नही और कोई मनाता भी नही

हर दिल में दर्द छुपा होता है बस बयान करने का अंदाज़ जुदा होता है; कुछ लोग आँखों से दर्द बहा लेते हैं और किसी की हंसी में भी दर्द छुपा होता है!

जिंदगी जीता हुँ खुली किताब की तरह ना कोई फरेब ना कोई लालच
मगर मे हर बाजी खेलता हूँ बीना देखे क्योंकि ना मुझे हारने का गम ना जीतने का जश्न

दिल की हालात बताई नहीं जाती; हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती; बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद; हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती।

आज उसे एहसास मेरी मोहब्बत का हुआ
शहर में जब चर्चा मेरी शोहरत का हुआ
नाम नहीं लेती मुझे अब जान कहती है
देखो कितना असर उस पर दौलत का हुआ

यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है; यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है; कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान; फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है।

रोने की सज़ा न रुलाने की सज़ा है; ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सज़ा है; हँसते हैं तो आँखों से निकल आते हैं आँसू; ये उस शख्स से दिल लगाने की सज़ा है।

जमीन अच्छी हो खाद अच्छा हो
पर पानी अगर खारा हो तो फूल खिलते नहीं
भाव अच्छा हो विचार भी अच्छा हो
मगर वाणी खराब हो तो संबंध भी टिकते नहीं

ना में तुम्हे खोना चाहता हूँ ना तेरी याद में रोना चाहता हूँ जब तक ज़िन्दगी है मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा बस यही बात तुमसे कहना चाहता हूँ.

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये
तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये
कई बार पुकारा इस दिल में तुम्हें
और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोय

वक़्त गुज़रेगा तो हम संभाल जाएँगे; मौत आने से पहले समझ जाएँगे; कि बेवफ़ाई उनकी फ़ितरत है ना की मजबूरी; तन्हाई में ही सही हम फिर से बस जाएँगे।

हम तो तेरे दिल की महफिल सजाने आऐ थे
तेरी कसम तुझे अपना बनाने आऐ थे
किस बात की सज़ा दी तुने हमको बेवफा
हम तो तेरे दर्द को अपना बनाने आऐ थे

पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती; दिल में क्या है वो बात नहीं समझती; तनहा तो चाँद भी सितारों के बीच में है; पर चाँद का दर्द वो रात नहीं समझती।