निकले हम कहाँ से और किधर निकले; हर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकले; तूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बात; तेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले।

हर सितम सह कर कितने गम छिपाए हमने; तेरी ख़ातिर हर दिन आँसू बहाए हमने; तू छोड़ गया जहाँ हमें राहों में अकेला; बस तेरे दिए ज़ख्म हर एक से छिपाए हमने।

तुम्हारा दुःख हम सह नहीं सकते; भरी महफ़िल में कुछ कह नहीं सकते; हमारे गिरते हुए आँसुओं को पढ़ कर देखो; वो भी कहते हैं कि हम आपके बिन रह नहीं सकते।

लड़के की जमकर पिटाई करने के बाद लोगो ने
लडकी और उसकी स्कूटी को उठा कर पूछा कहीं चोट तो नहीं लगी
लडकी- नहीं रोज का काम है स्कुटी सीख रही हूं

प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है; दोस्ती मेँ कोई तो भरोसा तोड़ देता है; जिंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे; जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है..

संगे मरमर की तू बात न कर मुझसे..!!
मैं अगर चाहूँ तो एहसास-ऐ-मोहब्बत लिख
दु..!!
ताज महल भी झूक जाएगा चूमने के लिए...!!
में जो एक पथर पे
“Tera Naam " लिखदु....!!

तुम आए ज़िंदगी मे कहानी बन कर
तुम आए ज़िंदगी मे रात की चाँदनी बन कर
बसा लेते है जिन्हे हम आँखो मे
वो अक्सर निकल जाते है आँखो से पानी बन कर

किसको दोष लगाएं अपनी बरबादी का हम; इश्क़ की राहों में हम खुद ही गुनाहगार हैं; जो लम्हें बिताये थे साथ मिलकर कभी; आज वही लम्हें मेरे सितमगर हैं।

जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है! मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है! जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से! हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है!

अगर चीन को हरियाणा की सीमा लगती तो
हमारे हरियाणे की लेडीज ही बिटोङे बना बना कर आधे चीन पर कब्जा कर लेती
और चीन का कब्जे से भरोसा ही उठ जाता

प्यार का तोफा हर किसी को नहीँ मिलता,
ये वो फूल है जो हर बाग मे नही खिलता,
इस फुल को कभी टूटने मत देना,
क्योकि टूटा हुआँ फुल वापीस नहीँ खिलता.

घांव इतना गहरा है बयां क्या करे
हम खुद निशाना बन गये अब वार क्या करे
जान निकल गयी मगर खुली रही आंखें
अब इससे ज्यादा उनका इंतजार क्या करे

आँखों में रहा दिल में उतर कर ना देखा; कश्ती के मुसाफिर ने समंदर ना देखा; पत्थर मुझे कहता है मुझे चाहने वाला; मैं मोम हूँ उसने मुझे छु कर ना देखा।

ज़रा सी देर को आये ख्वाब आँखों में; फिर उसके बाद मुसलसल अज़ाब आँखों में; वो जिस के नाम की निस्बत से रौशनी था वजूद; खटक रहा है वही आफताब आँखों में!

आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये; फ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये; कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो; दर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाये।