किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें

हम मतलबी नहीं कि चाहने वाले को धोखा दें
बस हमें समझना हर किसी के बस की बात नही

इसी बात ने उसे शक में डाल दिया हो शायद,
इतनी मोहब्बत, उफ्फ…कोई मतलबी हीं होगा !!!!

मत सोना किसी के गोद में सर रखकर,
जब वो छोङता है तो रेशम के तकिय पर भी नीदं नही आती...

वो ढूँढ रहे थे हमसे दूर जाने के बहाने..
मेने सोच खफा होके उनकी मुश्किले आसान कर दूँ..

वो रात दर्द और सितम की रात होगी
जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी
उठ जाता हु मैं ये सोचकर नींद से अक्सर
के एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है

कुछ अलग सा है हमारी मोहब्बत का हाल,
तेरी चुप्पी और मेरे ख़ामोश सवाल...!!

मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी
अगर हमें बिकना ही होता तो आज यूँ तनहा न होते

ऐ जिन्दगी! जा कर ढूंढ़, कोई खो गया है मुझसे
वो न मिला तो सुन, तुझे भी ख़ुदा हाफिज

ये नक़ाब तुम्हारे झुठ का उतरेगा जिस दिन खुद से नज़रें मिलाने को तरसोगे उस दिन !!

मोहब्बत तेरी सूरत से नही तेरे किरदार से हे
शौक ऐ हूस्न होता तो बाजार चले जाते

हथेलियों पर मेहँदी का “ज़ोर” ना डालिये,
दब के मर जाएँगी मेरे “नाम” कि लकीरें…!!!!

मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे मुझको ए ज़िन्दगी,
मुझे रोज़ रोज़ तमाशा न बनाया कर..
=RPS

पहले जैसा रंग नहीं है जीवन की रंगोली में
जाने कितना ज़हर भरा है अब लोगों की बोली में