हम ने माँगा था साथ उनका; वो जुदाई का गम दे गए; हम यादों के सहारे जी लेते; वो भुल जाने की कसम दे गए।

टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया
वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी

अगर ज़िंदगी में जुदाई ना होती तो कभी किसी की याद आई ना होती; साथ गुज़रता हर लम्हा तो शायद रिश्तों में यह गहराई ना होती।

तन्हा हो कभी तो मुझ को ढूंढना; दुनियां से नहीं अपने दिल से पूछना; आस-पास ही कहीं बसे रहते हैं हम; यादों से नहीं साथ गुज़ारे लम्हों से पूछना।

कोई रिश्ता नया या पुराना नहीं होता
ज़िंदगी का हर पल सुहाना नहीं होता
जुदा होना तो किस्मत की बात है
पर जुदाई का मतलब भुलाना नहीं होता
=RPS

चांदनी रातों में सारा जहां सोता है
लेकिन किसी की यादों में कोई बदनसीब रोता है
खुदा किसी को हसीनों पे फिदा ना करे
अगर करे तो फिर उनसे जुदा ना करे

थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब; वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब।

औकात क्या है तेरी ए जिँदगी
चार दिन कि मुहोब्बत तुझे तबाह कर देती है

तेरे बगैर भी तो ग़नीमत है ज़िन्दगी; खुद को गँवा कर कौन तेरी जुस्त-जू करे।

राज ज़ाहिर ना होने दो तो एक बात कहूँ
मैं धीरे धीरे तेरे बिन मर जाऊँगा

फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूं भी नहीं; मगर क़रार से दिन कट रहे हों यूं भी नहीं।

रात इतनी हसीन थी कि सारे सो रहे थे; हम ही ऐसे बदनसीब थे जो आपकी याद में रो रहे थे।

तुझे पुरा हक है भुल जाने का मेरी मौहब्बत को
मगर उस दिन जब कोई तुझे मेरी तरह चाहे

जिस अफ़साने को अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन; उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना ही अच्छा।

न कोई इल्ज़ाम न कोई तंज़ न कोई रुस्वाई मीर; दिन बहुत हो गए यारों ने कोई इनायत नहीं की।