कुदरत के इन हसीन नज़ारों का हम क्या करें; जब तुम ही साथ नहीं तो इन चाँद सितारों का क्या करें।

जिनके मिलते ही ज़िन्दगी में ख़ुशी मिल जाती है
वो लोग जाने क्यों ज़िन्दगी में कम मिला करते है

सुन लिया हम ने फैसला तेरा; और सुन के उदास हो बैठे; ज़हन चुप चाप आँख खाली; जैसे हम क़ायनात खो बैठे।

सारा दिन लग जाता है खुद को समेटने में
फिर रात को यादों की हवा चलती है
और हम फिर से बिखर जाते है

कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी कि तुझे अलविदा भी ना कह सका; तेरी सादगी में इतना फरेब था कि तुझे बेवफा भी ना कहा सका।

आप को खोने का हर पल डर लगा रहता है; जब कि आपको पाया ही नहीं; तुम बिन इतना तन्हा हूँ मैं; कि मेरे साथ मेरा साया भी नहीं।

उस की चाहत का भरम क्या रखना; दश्त-ए-हिजरां में क़दम क्या रखना; हँस भी लेना कभी खुद पर मोहसिन ; हर घडी आँख को नम क्या रखना।

जिसने हमको चाहा उसे हम चाह न सके; जिसको चाहा उसे हम पा न सके; यह समझ लो दिल टूटने का खेल है; किसी का तोडा और अपना बचा न सके।

तन्हाई जब मुक़द्दर में लिखी है; तो क्या शिकायत अपनों और बेगानों से; हम मिट गए जिनकी चाहत में; वो बाज ना आए हमे आज़माने से।

आज कुछ कमी है तेरे बगैर; ना रंग है ना रौशनी है तेरे बगैर; वक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा है; मगर यह धड़कन अब थम गयी है तेरे बगैर।

हर घड़ी सोचते हैं भलाई तेरी; सुन नहीं सकते बुराई तेरी; हस्ते हस्ते रो पड़ती हैं आँखें मेरी; इस तरह से सहते हैं जुदाई तेरी।

प्यार ने ये कैसा तोहफा दे दिया; मुझको गमो ने पत्थर बना दिया; तेरी यादों में ही कट गयी ये उम्; कहता रहा तुझे कब का भुला दिया।

जिंदगी मोहताज़ नहीं मंजिलो की; वक़्त हर मंजिल दिखा देता है; मरता नहीं कोई किसी से जुदा होकर; वक़्त सबको जीना सिखा देता है।

सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरी; आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी; जब भी चलती हैं हवाएं; बहुत परेशान करती है यह तन्हाई मेरी।

खुदा किसी को किसी पर फ़िदा न करे; करे तो क़यामत तक जुदा न करे; यह माना कि कोई मरता नहीं जुदाई में; लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में!