ऐ जिन्दगी तु ही बता मैं तेरा गुनहेगार तो नहीं
फिर क्यू तु हमेशा मुझ से रूठी रूठी सी रहती है

शोख नहीं है मुझे फ़ोटो खिंचाने का, पर क्या करू, मेरी रानी को मेरा फ़ोटो देखे बिना नींद नहीं आती....

जान जब प्यारी थी कम्बखत उस वक्त वो भी हमारी थी
आज जब मरने का शोक है तो एक भी क़ातिल नज़र नही आता

वो लाख तुझे पूजती होगी मगर तू खुश न हो ऐ खुदा
वो मंदिर भी जाती है तो मेरी गली से गुजरने के लिए

मेरी शायरी कितनी ही अच्छी क्यों ना हो दोस्तों
लिखने का आनंद तो आपके तारीफ़ के बाद ही आता है

हम इतना sweet नही कि diabeties हो जाए
ना इतना salty B.P. बड जाए
ना इतना tasty कि maza आ जाए
पर इतना कडवा भी नही कि याद ना आए

लेने गया था मुहब्बत की चादर इश्क के बाजार से
सोचा कफ़न भी ले लूं अक्सर महबूब बेवफ़ा होते है

ज़िन्दगी हमें बहुत खूबसूरत दोस्त देती है
लेकिन अच्छे दोस्त हमें खूबसूरत ज़िन्दगी देते हैं

वो खुद पर गरूर करते है तो इसमें हैरत की कोई बात नहीं
जिन्हें हम चाहते है वो आम हो ही नहीं सकते

जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है
कमबख्त़ इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है

मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती....,
अपना वजूद भूलाना पडता है,
किसी को अपना बनाने के लिए...।

कभी प्यार करने का दिल करे तो ग़मों से करना; सुना है जिसे जितने प्यार करो वो उतना दूर चला जाता है!

Hum तो नादान है क्या समझेगें उसूल मोहब्बत के
बस उसे चाहना था उसे चाहते हैं, और उसे ही चाहेंगे
G.R..s

शरीफ थे इतने कि कभी कमीज के बटन तक नहीं खोले
मगर ये बिजली बोर्ड वालों ने तो सनी लियोन बना दिया

उठाकर फूल की पत्ती उसने बङी नजाकत से मसल दी
इशारो इशारो मेँ कह दिया की हम दिल का ये हाल करते है