शोहरत बेशक चुपचाप गुजर जाये
कमबख्त बदनामी बड़ा शोर करती है

मुझे कहनी है तुमसे इक बात
दास्तान लबो से सुनोगे या निगाहो से

हमे सिंगल रेहने का शौक नही
हमारा तेवर झेल सके वो आज तक मिली नही

जरा सा भी नही पिघलता दिल तेरा
इतना क़ीमती पत्थर कहाँ से ख़रीदा

आज कल अपना लास्ट सीन तक छुपा लेते हे लोग
दिल क्या ख़ाक दिखायेंगे

सबको मालुम है की जिंदगी बेहाल है
फिर भी लोग पूछते है क्या हाल है

फरियाद कर रही है तरसी हुई निगाह
किसी को देखे हुये अरसा हो गया है

ये इश्क़ भी बड़ी नामुराद चीज़ है
उसी से होता है जो किसी और का होता है

मेरे दिल से खेल तो रहे हो पर
ज़रा संभल के टूटा हुआ है कहीं लग ना जाए

" ये कहके नई रोशनी रोएगी एक दिन,
अच्छे थे वही लोग पुराने ख्याल के "

शहर में हमदम पुराने बहुत थे नासिर; वक़्त पड़ने पर मेरे काम ना आया कोई।

कुछ अलग सा है हमारी मोहब्बत का हाल
तेरी चुप्पी और मेरे ख़ामोश सवाल

न ज़ख्म भरे, न शराब सहारा हुई.,
न वो वापस लौटीं, न मोहब्बत दोबारा हुई..

सिकंदर तो हम अपनी मर्जी से हें,
पर हम दुनिया नहीं दिल जीतने आये हें..

बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में जब से हुआ है
कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता