अब तेरा नाम हथेलियों पर नहीं लिखते हम…
कारोबार में सबसे हाथ मिलाना पड़ता है।।

मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो कि वो धोखा दे कर भी सोचे
की वापस जाऊ तो किस मुंह से

इतना भी करम उनका, कोई कम तो नहीं है
ग़म देकर वो हमें पूछतें हैं, कोई ग़म तो नहीं है.?

जिन आँखों को सजदे में रोने की आदत हो
वो आँखें कभी अपने मुक्कदर पर रोया नहीं करती

उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा; दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है!

रिश्ते खराब होने की एक वजह ये भी है
कि लोग अक्सर टूटना पसंद करते है पर झुकना नहीं

देखी जो नब्ज़ मेरी तो हँस कर बोला हक़ीम
जा दीदार कर उसका जो तेरे हर मर्ज की दवा है

मोहब्बत जीत जाएगी अगर तुम मान जाओ तो
मेरे दिल मैं तुम ही तुम हो अगर तुम जान जाओ तो

दीखाने के लीए तो हम भी बना सकते है ताजमहल,मगर मूमताज को मरने दे
हम वो शाहजहा नही…!

अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती..

जख्म तलवार के गहरे भी हो तो मिट जाते हैं..
लफ्ज तो दिल में उतर जाते हैं भालों की तरह..

कितनी फिकर है क़ुदरत को मेरे तन्हाई की,
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिये..

तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना
हम ‘जान’ दे देते हैं मगर जाने नहीं देते

हम दोस्ती करते है तो अफसाने लिखे जाते है
और दुश्मनी करते है तो तारीखे लिखी जाती है

हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं,
कभी किस्मत से टूट जाते हैं,
कभी लोग तोड जाते हैं...