दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुक सा जाता है
किसी बेइमान बनिए का तराजु हो जैसे
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुक सा जाता है
किसी बेइमान बनिए का तराजु हो जैसे
मुहोब्बत नहीं थी उसे मुझसे ये जानता था मैं
फिर भी ये बात कहाँ मानता था मैं
हवा से कह दो कि खुद को आजमा के दिखाये बहुत
चिराग बुझाती है एक जला के दिखाये
चुम कर मेरे होठो को वो एक अदा से बोली
सच बता दिल मेँ तेरे और भी अरमान है की बस
आज भर ली है हमने कलम में जख्मो का लहू ।
आज जी भर के शायरी पढ़ो ,बर्बाद हो गए हम
तुम मोहब्बत के सौदे भी अजीब करते हो
बस मुस्कुरा देते हो और अपना बना लेते हो
टूटकर भी कमबख्त धड़कता रहता है
मैंने दुनिया में दिल सा कोई वफादार नहीं देखा
यूँ तो गलत नही होते अंदाज चेहरो के
लेकिन लोग वैसे भी नही होते जैसे नजर आते है
हमको तो बेजान चीज़ों पर भी प्यार आता है
यारा तुझमें तो फिर भी मेरी जान बसी है
छू ना सकूं आसमान तो ना ही सही दोस्तों
आपके दिल को छू जाऊं बस इतनी सी तमन्ना है
अजीब शर्त रख दी उस बेवफा ने मिलने की
सूखे पत्तों पर चल कर आना और आवाज़ भी ना हो
मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए
वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये
बुजदिल हें वो लोग जो मोहब्बत नहीं करते,
बहुत हौसला चाहिए बर्बाद होने के लिए ।
आग लगना मेरी फितरत में नही
पर लोग मेरी सादगी से ही जल जाये उस में मेरा कया कसूर
हालात के साथ वों बदलते हे जो कमज़ोर होते हें
हम तो हालात को ही बदल के रख देते हैं